चित्रकूट से निकलकर श्रीराम घने वन में पहुंच गए। असल में यहीं था उनका वनवास। इस वन को उस काल में दंडकारण्य कहा जाता था। इस वन में उन्होंने अपने जीवन के लगभग 12 वर्ष से अधिक का समय बिताया था। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के ...
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