प्राचीनकाल में संध्योपासना या संध्यावंदन की जाती थी। आगे चलकर यह पूजा, आरती और तरह तरह की पूजा विधियों में बदल गई। अब मोटे तौर पर कह सकते हैं कि संध्योपासना के 5 प्रकार हैं- (1) प्रार्थना, (2) ध्यान-साधना, (3) भजन-कीर्तन (4) यज्ञ और (5) पूजा-आरती। ...
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