पितृऋण और पितृदोष से मुक्ति के अचूक उपाय
पितृऋण और पितृदोष अलग अलग होते हैं। पितृदोष का समाधान नासिक के पास त्रयंबकेश्वर में होता है। कहते हैं कि पुत्र या पुत्री की प्राप्ती के बाद पितृऋण समाप्त हो जाता है लेकिन यदि पितृदोष है तो...
View Articlecasteism in india | जातिवाद की आग भड़काने का मकसद क्या है?
हम हारी हुई कौम हैं। अपने ही लोगों से हारी हुई कौम। हमें किसी बाहर के व्यक्ति ने नहीं अपने ही लोगों ने बाहरी लोगों के साथ मिलकर हराया है। क्यों?
View Articleविष्णु अवतार है, तो क्या शिव के अवतार भी हैं?
भगवान विष्णु के अवतार के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन भगवान शिव के अवतारों के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे और ब्रह्मा के अवतारों के बारे में तो लोग कुछ भी नहीं जानते। गुरु दत्तात्रेय तीनों ही...
View Articleइन 10 हिन्दू मंदिरों को तोड़ा था मुस्लिम आक्रांताओं ने
भारत में 7वीं सदी के प्रारंभ में मुस्लिम आक्रांताओं का आक्रमण प्रारंभ हुआ था। 7वीं सदी से लेकर 16वीं सदी तक लगातार हजारों हिन्दू, जैन और बौद्ध मंदिरों को तोड़ा और लूटा गया। उनमें से कुछ ऐसे थे जो कि...
View Articlemanusmriti | घर में सुख और समृद्धि कायम रखना है तो मानें मनुस्मृति की ये बातें
आपको यह पता ही होगा कि जब भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तब पांचों पांडव मौन थे। भीष्म, द्रोण और धृतराष्ट्र भी मौन थे।
View Articleहिन्दू धर्म के 9 शुभ पत्ते
कुछ पत्ते ऐसे हैं जिन्हें शुभ और पवित्र मानकर उनका पूजा में उपयोग किया जाता है। ऐसे ही कुछ पत्ते की जानकारी यहां प्रस्तुत है।
View Articleसंचित कर्म क्या होते हैं?
धर्मशास्त्र और नीतिशास्त्रों में कहा गया है कि कर्म के बगैर गति नहीं। सनातन धर्म भाग्यवादियों का धर्म नहीं है। वेद, उपनिषद और गीता- तीनों ही कर्म को कर्तव्य मानते हुए इसके महत्व को बताते हैं।
View Articleविष्णु अवतार नील वराह की कहानी
आदि वराह से पहले नील वराह और उनके बाद श्वेत वराह हुए जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे। तीनों के काल को मिलाकर वराह काल कहा गया जो वर्तमान में भी जारी है। माना जाता है कि नील वराह का अवतरण हिमयुग...
View Articleकौरव पक्ष को क्यों अधर्मी माना गया, जानिए 5 कारण
भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म का साथ दिया। इसीलिए इसे धर्मयुद्ध कहा गया। अब सवाल यह उठता है कि कौरव पक्ष में गुरु द्रोणाचार्य और भीष्म जैसे ज्ञानी-ध्यानी कई महारथी लोग थे फिर भी उनके पक्ष को अधर्मी कहा गया।...
View Articleयदि ये तीन गलती नहीं करता दुर्योधन तो...
भीम ने दुर्योधन की जंघा उतार दी थी। वह खून में लथपथ होकर रणभूमि पर गिरा हुआ था। बस, कुछ ही समय में दम तोड़ने वाला था लेकिन भूमि पर गिरे हुए ही उसने श्रीकृष्ण की ओर देखते हुए अपने हाथ की तीन अंगुलियों...
View Articleहिन्दू धर्म अनुसार यह धरती का प्रौढ़ावस्था काल, जानिए कब होगा अंत
धरती के जन्म के बाद जब धरती की आग ठंडी हुई तो वह करोड़ों वर्ष तक जल में डूबी रही। उस काल को पुराणों में गर्भकाल कहा गया।
View Articleमैहर माता का मंदिर, आल्हा करते हैं आरती पर दिखाई नहीं देते
मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में मैहर की माता शारदा का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि शाम की आरती होने के बाद जब मंदिर के कपाट बंद करके सभी पुजारी नीचे आ जाते हैं तब यहां मंदिर के अंदर से घंटी और पूजा...
View Article'शैव पंथ' का जानिए रहस्य
हिन्दुओं के पांच मुख्य संप्रदाय हैं- वैदिक, शैव, वैष्णव, स्मार्त और संतमत। शाक्त भी शैव के अंतर्गत आता है। भगवान शिव तथा उनके अवतारों को मानने वालों को शैव कहते हैं। शाक्त भी शैव के अंतर्गत आता है।...
View Articleअध्यात्म के मार्ग के चार पद, जानकर हैरान रह जाएंगे
जब कोई व्यक्ति अध्यात्म या ध्यान के मार्ग पर चलने लगता है और वह निरंतर उसी मार्ग पर चलता रहता है तो उसे उस मार्ग में जो उपलब्धियां मिलती है उसे विद्वानों ने सांसारिक भाषा में पद और आध्यात्म की भाषा में...
View Articleहिंदू और जैन धर्म के आपसी संबंध, जानिए 10 रहस्य
हिंदू और जैन दो शरीर लेकिन आत्मा एक है। यह भी कह सकते हैं कि एक ही कुल के दो धर्म है हिंदू और जैन। आओ जानते हैं कि कैसे दोनों ही धर्म दो होकर भी एक हैं।
View Articleइसे कहते हैं सिद्ध महायोगी
उपनिषद अनुसार जन्म और मृत्यु के बीच तीन अवस्थाएं होती हैं:- 1.जागृत, 2.स्वप्न और 3.सुषुप्ति। उक्त तीन अवस्थाओं से बाहर निकलने का मार्ग है हिन्दू धर्म।
View Articleशिर्डी सांईं बाबा के 10 रहस्यों को जानकर चौंक जाएंगे आप
सांईं बाबा शिर्डी में आने से पहले कहां थे? शिर्डी में आने के बाद वे शिर्डी छोड़कर चले गए थे और और फिर एक बारात में आने के बाद वे स्थायी रूप से वहीं रहने लगे। जब वे शिर्डी छोड़कर गए थे तब वे कहां थे? आओ...
View Articleरणभूमि के ध्वजों के प्रकार
रणभूमि में अवसर के अनुकूल 8 प्रकार के झंडों का प्रयोग होता था। ये झंडे थे- जय, विजय, भीम, चपल, वैजयन्तिक, दीर्घ, विशाल और लोल। ये सभी झंडे संकेत के सहारे सूचना देने वाले होते थे। विशाल झंडा क्रांतिकारी...
View Articleशिरडी के साईं बाबा पर ये महत्वपूर्ण किताबें जरूर पढ़ें
शिरडी के सांईं बाबा का यह 100वां जन्मोत्सव वर्ष चल रहा है। सांई बाबा पर वैसे तो सैंकड़ों किताबें लिखी गई है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण और उत्तम किताबें उनके काल में या उनके समकालीन लोगों ने लिखी है। उन्हीं...
View Articleरहस्यमयी लिपि खुदी है चतुर्भुजी देवी के पीछे
बालूमाथ और औद्योगिक नगरी चंदवा के बीच एनएच-99 रांची मार्ग पर नगर नामक स्थान में एक अति प्राचीन मंदिर है जो भगवती उग्रतारा को समर्पित है। यह एक शक्तिपीठ है। मान्यता है कि यह मंदिर लगभग एक हजार वर्ष...
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